AI Video - Chat GPT | नई टेक्नोलॉजी का स्वागत

AI Video - Chat GPT नई टेक्नोलॉजी का स्वागत


नई टेक्नोलॉजी का स्वागत 

आपने शायद सपनों में भी नहीं सोचा होगा कि टेक्नोलॉजी इस हद तक पहुंच जाएगी। अब फर्क बता पाना लगभग नामुमकिन है कि क्या असली है क्या कंप्यूटर जनरेट और अब वीडियोस बनाने के लिए आपको कैमरा की जरूरत नहीं सिर्फ कीबोर्ड के जरिए  वीडियोस बनाए जा सकते हैं। कुछ मिनटों में यह सब पॉसिबल हो गया है। आज सोरा एआई एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर है जिसे बनाया है ओपन एआई कंपनी ने वही कंपनी जिसने डेढ़ साल पहले दुनिया को हिलाकर रख दिया था जब उन्होंने चैट जीपीटी लॉन्च किया था। चैट जी पी टी में आप टेक्स्ट टू टेक्स्ट कन्वर्सेशन करते हो एआई के साथ। आप टेक्स्ट में कुछ लिखकर भेजते हो एआई को और वापस जवाब भी टेक्स्ट में ही आता है। इसके बाद ओन ए ने ली सॉफ्टवेयर लॉन्च किया था जो टेक्स्ट टू फोटो था। आप टेक्स्ट लिखकर भेजोगे कि किस तरीके की फोटो आप जनरेट करना चाहते हो आपको वापस एक एआई जनरेट फोटो मिल जाती थी। और अब यह  एआई टेक्स्ट टू वीडियो है, आप सिंपल इंग्लिश भाषा में लिखकर बताओ कि मुझे एक वीडियो चाहिए एक यंग इंसान का जो एक बादल पर बैठकर एक किताब पढ़ रहा है, ये लिखकर आप भेजो और रिस्पांस में  एआई आपको एक ऐसा वीडियो बनाकर दे देगा। सोरा एआई यहां पर सिर्फ टेक्स्ट टू वीडियो नहीं बल्कि फोटो टू वीडियो भी जनरेट कर सकता है। इतना ही नहीं यहां पर वीडियो टू वीडियो करना भी पॉसिबल है। ओरिजिनल वीडियो यहां पर इसे दो जहां पर एक गाड़ी रोड पर चल के जा रही है और आप इसे कहो कि आसपास की एनवायरमेंट बदल दे और मैं चाहता हूं कि 1920 का जमाना लगे लेकिन गाड़ी का रेड कलर यही रखना तो  वीडियो निकल आता है। 

आप इस टेक्नोलॉजी के मायने समझ रहे हो क्या है। पूरी की पूरी इंडस्ट्रीज उलट - पलट हो सकती हैं। एनिमेटर्स वीडियो गेम डिजाइनर्स ग्राफिक डिजाइनर्स इनकी अब जरूरत ही क्या पड़ी स्टॉक फोटो प्लेटफॉर्म स्टॉक वीडियो
प्लेटफॉर्म्स पूरे खत्म हो जाएंगे। फिल्में बनाते वक्त हफ्तों की फिल्मिंग करने की क्या जरूरत जब कुछ मिनटों में एआई आपको आपके लिए फिल्म की फुटेज दे सकता है।  तो दुनिया पर इसका क्या असर पड़ेगा इसकी बात करते हैं, लेकिन उससे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि अभी तक सोरा एआई के आने से पहले इस टेक्नोलॉजी का क्या लेवल था। आज से ठीक एक साल पहले मार्च 2023 में एक वीडियो बड़ा वायरल गया था।
इंटरनेट पर विल स्मिथ स्पेगेटी खा रहा है। यह वीडियो किसी और कंपनी के एआई सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके बनाया गया था। लेकिन 1 साल पहले ये इस टेक्नोलॉजी की पीक थी। इसके बाद कुछ और टेक्स्ट टू वीडियो एआई टूल्स पब्लिक में आए थे, जैसे कि पका लैब्स और रनवे सोरा एआई के आने से पहले रनवे कंपनी इस फील्ड  इंडस्ट्री में लीडर थी, लेकिन उसके द्वारा जनरेट किए गए एआई जनरेट वीडियोस की क्वालिटी में जमीन आसमान का फर्क है। यहां पर सोरा के रिलीज होने के बाद एक्टर विल स्मिथ खुद इतने इंप्रेस्ड थे। इस टेक्नोलॉजी को देखकर कि उन्होंने मजाक में अपना एक वीडियो बनाया यह दिखाने के लिए कि देखो पहले
टेक्नोलॉजी कहां थी और अब ये टेक्नोलॉजी कहां पहुंच चुकी है। सोरा अब यहां पर समझ सकता है कि हमारी दुनिया कैसे चलती है, मोशन कैसे काम करता है। जब मोमबत्ती को जलते हुए देखता है तो इसके चेहरे पर एक्साइटमेंट कैसे आती है बारीक से बारीक डिटेल्स को यहां यह समझ पा रहा है कि हाथी चलते कैसे हैं उनके पैरों का मोशन वास्तव मे कैसे होता है। इसी की वजह से ही ये सारे वीडियोस इतने असली लगते हैं।
आप यहां सोचोगे कि सोरा यह सब कर कैसे पा रहा है तो इसकी बेसिक फंक्शनैलिटी, वास्तव में चैट जी पी टी से काफी सिमिलर है, चैट जी पी टी जहां एक तरफ टोकस का इस्तेमाल करता है और वही सोरा दूसरी तरफ उसके
इक्विवेलेंट पैचेज का इस्तेमाल करता है। चैट जी पी टी से जो भी आप पूछते हो वो उस टेक्स्ट को टोकस में बांट देता है और हमें वापस जवाब भी टोकस के जरिए ही देता है। सोरा एई भी ऐसे ही फोटोज और वीडियोस को समझने के लिए वह विजुअल डाटा को विजुअल पैचेज में बांट देता है।

ऊपर ऊपर से देखकर आपको जरूर लगेगा कि यह टेक्नोलॉजी तो बड़ी परफेक्ट हो चुकी है, लेकिन गौर से देखोगे तो आपको दिखेगा कि यह 100% परफेक्ट नहीं हुई है। कोई संदेह नहीं यह बड़ी कमाल की टेक्नोलॉजी है लाजवाब है, लेकिन 100% परफेक्ट नहीं है। अभी मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं क्योंकि यह एआई जनरेट वीडियोस कभी-कभार चूक जाते हैं  रियल वर्ल्ड की फिजिक्स को अप्लाई करने में। लेकिन जिस स्पीड से ये टेक्नोलॉजी इंप्रूव हो रही है मुझे नहीं लगता कि आज से 1 साल बाद यह भी बताना पॉसिबल हो सकेगा और ओपन एआई वाले भी यह  चीज जानते हैं। जिस दिन ये वीडियोस इतने असली हो गए कि बिल्कुल ही कोई इंसान की आंखें डिफरेंशिएबल क्रिएट होंगी बहुत ही आसानी से फेक न्यूज़ फैलाई जा सकेगी। शायद यही रीजन है कि सोरा एआई अभी पब्लिक के लिए रिलीज नहीं किया गया है इसे अभी रेड टी मर्स के द्वारा टेस्ट किया जा रहा है। सिक्योरिटी कंसर्न्स के लिए यानी कि ये अभी टेस्टिंग फेज में है। रेड टीमर्न होता है साइबर सिक्योरिटी के वो लोग जो अटैकर्स की तरह बिहेव करते हैं और इनका काम होता है सिस्टम की कमजोरियां ढूंढना लेकिन जब ये पब्लिक के लिए रिलीज किया भी जाएगा तब भी मुझे नहीं लगता कि इसमें किसी भी रियल इंसान के फोटोज वीडियोस को मैनिपुलेट करना पॉसिबल होगा क्योंकि वो चीज तो हमेशा ही एक बड़ा सिक्योरिटी रिस्क रहेगी कि लोग इसका इस्तेमाल करें। किसी पॉलिटिशियन के फेक वीडियोस बनाने में और उससे इलेक्शन में इंटरफेरेंस हो। लेकिन यह एक ऐसी चीज है जो सोरा के रिलीज होने से पहले ही एक बड़ी प्रॉब्लम बनती जा रही है। आपने विराट कोहली का एक वीडियो जिसमें वो एक बैटिंग ऐप प्रमोट कर रहे हैं देखा होगा, क्या पहचान पाए कि वीडियो असली नहीं है। यह 100% एआई जनरेट वीडियो है कुछ फ्रॉड कंपनीज ऑलरेडी इस चीज को एक्सप्लोइट करने लग चुकी हैं। सोशल मीडिया पर इन टीज के फेसेस का इस्तेमाल करके ऐड्स चलाई जाती हैं। पैसों का लालच दिखाकर लोगों को कहा जाता है कि हमारी ऐप डाउनलोड करो। सचिन तेंदुलकर के साथ भी यही चीज हुई।  टेक्नोलॉजी इस लेवल तक पहुंच चुकी है कि किसी और की आवाज को भी यहां पर यूज करना पॉसिबल हो पा रहा है। अभी के लिए ऐसे वीडियोस से बचने का एक ही तरीका है थोड़ा गौर से देखिए इन वीडियोस को हमेशा छोटी-मोटी गलतियां आपको मिलेंगी कहीं ना कहीं लिप मूवमेंट अजीब होगी क्वालिटी लो होगी। अक्सर इनकी आवाज को भी अगर आप ध्यान से सुनने की कोशिश करोगे तो आपको पता लगेगा कि आवाज में वो बात नहीं आ रही।  छोटी-छोटी डिटेल्स नोटिस करके आप यहां डिफरेंशिएबल कंटेंट को देखो क्या प्रमोट किया जा रहा है। वहां पर क्या आपको करने को कहा जा रहा है कि यह एप्लीकेशन बिल्कुल मुफ्त है। वैसे ही आपको चौकन्ना हो जाना चाहिए। ऐसी चीजों से वैसे ही आपको दूर रहना चाहिए। इसके अलावा इन समस्या के लिए एक टेक्नोलॉजिकल सलूशन भी बनाया जा सकता है कि एक एआई जिसका काम हो एआई जनरेट वीडियोस को पहचानना। ओपन एआई ने कहा कि हम जितने भी वीडियोस सोरा एआई के द्वारा बना रहे हैं उसमें एक वाटर
मार्क डाल रहे हैं। उस वाटर मार्क के जरिए आप हमेशा पहचान सकते हो कि कोई वीडियो एआई जनरेट है या नहीं है। 

लेकिन इससे भी ज्यादा बड़ा मुद्दा है जॉब्स का, आखिर इस एआई का क्या इंपैक्ट पड़ेगा दुनिया भर की इंडस्ट्रीज पर और इकॉनमी पर फिल्मों में भी फिल्म मेकर्स को बड़े-बड़े कैमरा ले जाकर अलग-अलग जगहों पर फिल्मिंग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कुछ ही सालों में पूरी की पूरी फिल्में एआई का इस्तेमाल करके बनाई जा सकेंगी। अवेंजर्स फिल्म के डायरेक्टर जो रुसो ने तो  कहा था, कि सिर्फ 2 साल लगेंगे एआई को इस लेवल तक पहुंचने पर कि वह पूरी की पूरी फिल्में बनाने लग जाए। ऐसे ही गेम इंडस्ट्री पर इसका एक बहुत बड़ा असर पड़ेगा। जिन वीडियो गेम्स को बनाने में पहले सालों का समय लग जाता था, 100 लोगों से ज्यादा की टीम्स चाहिए होती थी अब यही काम कितनी आसानी से किया जा सकेगा। इस एनबीसी आर्टिकल के अनुसार फिल्म मेकर टाइलर पेरी 800 मिलियन डॉलर खर्च करने वाले थे स्टूडियो एक्सपेंड करने के लिए अपना, लेकिन जैसे ही सोरा रिलीज हुआ इन्होंने अपने स्टूडियो एक्सपेंशन को रोक दिया। आखिर स्टूडियो की जरूरत ही क्या अगर एआई हमारे लिए वीडियोस बनाकर दे दे तो। शॉर्ट टर्म में फिल्म और वीडियो प्रोडक्शन और एडवरटाइजिंग और मार्केटिंग की जॉब्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। लेकिन दुसरी तरफ इसकी एक पॉजिटिव साइड भी है। अच्छी चीज यहां पर यह होगी कि हमें इन सभी फील्ड्स में अब डेमोक्रेटाइजेशन देखने को मिलेगा। आम लोगों के लिए ये सारी फील्ड्स और एक्सेसिबल बन जाएंगी। अगर आपका सपना था कि आप कभी एक फिल्म प्रोड्यूसर बनो लेकिन आपके पास कभी इतना पैसा नहीं था इतनी इक्विपमेंट नहीं थी अब सोरा एआई के जरिए आपको भी मौका मिलेगा अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का बिना इन सब रिसोर्सेस के अब किसी आईटी जॉब वाले को भी एक अच्छा फिल्म मेकर बनने का मौका मिल पाएगा और किसी म्यूजिशियन को बिना ज्यादा पैसे खर्च के म्यूजिक वीडियोस बनाने का मौका मिल पाएगा।  

ऐसी टेक्नोलॉजीज को देखकर थोड़ा बहुत डर लगना जायज है क्या आप जानते हो आज से 600 साल पहले जब प्रिंटिंग प्रेस का इन्वेंशन किया गया था, तब भी बहुत से रिलीजियस लीडर्स उसके सख्त खिलाफ थे। कुछ लोग कहते थे कि जो किताबें हैं वो एक्चुअली में शैतान की देन है हमें किताबों को बैन कर देना चाहिए। साल 1550
में जो पोप थे पोप एलेग्जेंडर द सि उन्होंने यह तक कहा था कि चर्च की परमिशन के बिना किसी को किताबें प्रिंट करना अलाउड नहीं है। एक बात यहां पर तय है चाहे आप इस टेक्नोलॉजी को पसंद करें या ना करें इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता। सभी लोगों को सभी सरकारों को इस नई दुनिया से रूबरू करना सीखना होगा। दुनिया की कई सरकारें पहले से ही कदम उठाना शुरू कर चुकी हैं, जैसे कि सिंगापुर। सिंगापुर की सरकार ने तो 2019 से ही एआई की बात करनी शुरू कर दी थी और अपने लेटेस्ट 2024 के बजट में इन्होंने 1 बिलियन डॉलर्स इन्वेस्ट करने का प्लान किया है।

तो यही सजेशन मेरी आपके लिए भी रहेगी कि जितना जल्दी आप इस बदलती दुनिया से अडेप्ट करना सीखोगे उतना ही आप फायदे में रहोगे। एआई को लेकर एक चीज और कहना चाहूंगा क्योंकि एआई आज के दिन एक बड़ा ट्रेंडी वर्ड बन गया है, तो बहुत सी कंपनीज इसे एक्सप्लोइट भी कर रही हैं और काफी सारे फालतू के एआई भी मौजूद हैं।

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