Cold Drink Exposed । सॉफ्ट ड्रिंक्स पर खुलासा । Why Soft Drinks Not Useful for Health

Cold Drink Exposed । सॉफ्ट ड्रिंक्स पर खुलासा  । Why Soft Drinks Not Useful for Health


सॉफ्ट ड्रिंक्स पर खुलासा

लोग यह सोच सकते हैं कि यह सुगर का लगभग आधा गिलास है। अब इतनी सारी सुगर एक साथ खाना वास्तव में मुश्किल लगता है, लेकिन एक 600 मिलीअम्पीयर की बोतल मिरिंडा में इतनी ही मात्रा में शुगर होती है। विशेष रूप से 82.8 ग्राम। सॉफ्ट ड्रिंक्स हमारे जीवन में यह इतना सामान्य हो चुका है कि अगर आप दुनिया के किसी भी शहर में किसी भी देश में जाते हैं, तो आप हर जगह कोका-कोला की बोतल पाएंगे। क्या आप जानते हैं कि दुनिया में केवल दो देश बचे हैं जहां कोका-कोला उपलब्ध नहीं है? एक भी नहीं बिकता है, पहला उत्तर कोरिया और दूसरा क्यूबा। बाकी सभी देशों में, सिनेमा हॉल से लेकर क्रिकेट मैच तक, कॉलेज कैंटीन से लेकर शादी के अवसरों तक, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी लोग, हर जगह पिया जाता है। कोका-कोला की खुद की वेबसाइट के अनुसार, हर दिन 1.9 अरब सेविंग्स की कोका-कोला बिकती है। क्या आप सोच सकते हैं कि यह आंकड़ा कितना बड़ा है और यह केवल एक पेय की बात है अगर आप सारी सॉफ्ट ड्रिंक्स को शामिल करो तो दुनिया भर में कितना लोग इन्हें पीते हैं |

आज मैं आप सबकी आंखें खोलने वाला हूं यह बताकर कि में इन ड्रिंक्स के अंदर है क्या, खुद जानिए और फिर अपने परिवार और अपने दोस्तों को दिखाइए कि वह वास्तव में क्या पीने लग रहे |

 शुरुआत झूठ और अफवाहों से करते हैं क्योंकि मेरा मकसद आप लोगों को डराना नहीं है झूठी बातें बोलकर मैं आपको साइंटिफिकली बताना चाहता हूं कि वास्तव में आप क्या पीने लग रहे हैं| तो सॉफ्ट ड्रिंक्स को लेकर एक बड़ी मिथ यह है कि जो लोग इनसे नफरत करते हैं वो अक्सर इन्हें टॉयलेट क्लीननर कहते हैं | वास्तव में जहां पर भी ज्यादा चीनी मौजूद होती है वहां पर मोल्ड और बैक्टीरिया आसानी से ग्रो कर सकता है और फास्फोरिक एसिड उसी बैक्टीरिया की ग्रोथ को सुरक्षित करता है, इसलिए यही फास्फोरिक एसिड ना सिर्फ आपको सॉफ्ट ड्रिंक्स में मिलेगा बल्कि जैम्स प्रोसेस्ड मीट सीरियल बार्स बॉटल्ड, कॉफी बेवरेजेस जो होती है बेकिंग पाउडर, प्रोटीन ड्रिंक्स यहां तक कि इन सब चीजों में भी आपको मिलेगा | अब इंटरेस्टिंग यही दोनों एसिड्स आपको कई टॉयलेट क्लीनर्स में भी मिलेंगे | अक्सर जो होममेड टॉयलेट क्लीनर बनाया जाता है, उसमें विनेगर बेकिंग सोडा के साथ-साथ लेमन जूस भी डाला जाता है, लेकिन फिर भी भी सॉफ्ट ड्रिंक्स और टॉयलेट क्लीनर्स को कंपेयर करना एक दूसरे से गलत होगा, क्योंकि केमिस्ट्री में आपने स्कूल में पढ़ा होगा कि कुछ एसिड्स होते हैं जो माइल्ड होते हैं डाइल्यूट एसिड्स होते हैं, कुछ एसिड्स होते हैं जो कंसंट्रेटेड होते हैं ज्यादा स्ट्रांग होते हैं | फास्फोरिक एसिड एक वीक एसिड है और टॉयलेट क्लीनर्स में अक्सर और ज्यादा स्ट्रांग केमिकल्स होते हैं जैसे कि सोडियम हाइपोक्लोराइट और हाइड्रोक्लोरिक एसिड जो बहुत स्ट्रांग स्टेंस हैं उन्हें क्लीन करने के लिए इनका यूज किया जाता है। वैसे हाइड्रोक्लोरिक एसिड हमारे पेट में भी मौजूद होता ।गैस्ट्रिक एसिड का एक अहम कंपोनेंट होता है अब हमारे पेट को आप टॉयलेट क्लीनर से तो कंपेयर नहीं करेंगे ना क्योंकि केमिस्ट्री एक कॉम्प्लेक्शन कॉन्सिटर के आधार पे ऐसे निष्कर्ष ही निकाले जा सकते है |

एक और पॉइंट जो अक्सर दिया जाता है कि एक सॉफ्ट ड्रिंक का जो पीएच लेवल होता है वो एक टॉयलेट क्लीनर के पीएच लेवल के बराबर है | पीएच लेवल आपने स्कूल में पढ़ा होगा एसिडिटी मेजर करी जाती है इससे कि कोई सब्सटेंस कितना एसिडिक है | तो सॉफ्ट ड्रिंक्स का पीएच लेवल आमतौर पर 2.5 के अराउंड होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं लेमन जूस कितना एसिडिक है | उसका पीएच लेवल 2.0 से लेकर 2.6 के बीच में होता है | पोमग्रेनेट्स अनार जो है उसका कितना है पीएच लेवल 2.9 के अराउंड ग्रेप्स का भी इतना ही होता है |

ये मिथ आपके मन में क्लियर हो गई तो आप सवाल पूछोगे कि क्या सॉफ्ट ड्रिंक्स पीना सही है फिर इसका जवाब भी काफी सीधा है दोस्तों "नहीं" क्यों नहीं इसकी अब बात करते हैं, लेकिन इसकी बात करने से पहले एक और सवाल आपके मन में आ रहा होगा कि अगर वैसे भी मैं सॉफ्ट ड्रिंक्स को एक्सपोज ही करने वाला हूं तो यहां पर उन्हें डिफेंड क्यों कर रहा था ये रूमर्स की बात करके | इसके बीच साधारण सा रीजन है मिस इंफॉर्मेशन एक हानिकारक चीज है चाहे उससे जो निष्कर्ष निकले वो सही हो या गलत मिस सूचनाओं के जरिए वो निष्कर्ष नहीं निकालना है हमें । अब समझते हैं कि सॉफ्ट ड्रिंक्स हानिकारक क्यों है अब यहां पर मैं कोई सीक्रेट इंग्रेडिएंट्स की बात नहीं करूंगा अक्सर जो कंटेम देखने को मिलती है, जैसे कि काफी पहले खबरें आज सुनने को मिली थी कि कोल्ड ड्रिंक्स में पेस्टिसाइड्स पाए गए हैं Soft Drinks That Are Being Sold In Delhi Coca Brands Had 30 Times Higher Pesticide Residues And The ps 6 Times Higher Pesticide Residues. ये 2004, 2006 और फिर 2016 में फिर से हुआ था, लेकिन ये एक अनयूजुअल चीज है ऐसा आमतौर पर होता नहीं है । हम जिन सॉफ्ट ड्रिंक्स की बात कर रहे हैं | उनमें कोई भी ऐसी कंटेम नहीं है सिर्फ प्योर वही ड्रिंक है जो कंपनी बनाना चाह रही है | बोतल को घुमाइए और इंग्रेडिएंट्स लिस्ट चेक कीजिए शुरू में मैंने मिंडा का एग्जांपल लिया था वो Pepsi-Cola रखते हैं, लेकिन कोका कोला की तरफ से भी एक सिमिलर ब्रांड आपको मिलेगा फंटा ये दो सबसे बड़ी कंपनीज है। मुद्दा ये है कि जब आप आलू के परांठे खाओगे या मसाला डोसा खाओगे वो आपका लंच हो सकता है आपका पेट भर जाता है उसमें, लेकिन अगर आप ये एक बोतल कोका कोला की मिरिंडा की पियोगे तो इससे पेट भरेगा क्या आपका ? ये एक्स्ट्रा कैलोरीज फालतू की है इसके बाद लंच या डिनर तो वैसे भी आपको करना ही पड़ेगा ऊपर से बाकी नॉर्मल खाने में प्रोटींस होते हैं सोडियम, पोटेशियम, विटामिंस होते हैं, फाइबर्स होते हैं, फैट्स होते हैं कई सारे न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं, लेकिन इस बोतल से क्या मिलता है आपको खाली कैलोरीज जिनमें कोई न्यूट्रिएंट्स नहीं है और सिर्फ चीनी है भरपूर चीनी है इतनी सारी चीनी है कि आप यकीन नहीं कर सकते। आप तुलना के लिए यहां पर उतनी ही चीनी एक खाली गिलास में डाली 100 ml में 13.8 g चीनी होती है मंडा में तो एक पूरी बोतल में 13.8, 600 ml, 82.8 ग्रा चीनी आधा गिलास भर जाता है | इतनी चीनी आपको बीमार बहुत बीमार कर सकती है | आप पूछोगे कि कितनी डेड शुगर एक आम इंसान के लिए नॉर्मल है खाना तो इसका जवाब है "जीरो" सही पढ़ा आपने बिल्कुल जीरो क्योंकि बात क्या है हम यहां पर एडेड शुगर की बात कर रहे हैं नेचुरल शुगर की बात नहीं कर रहे हैं | नेचुरल शुगर हमारी शरीर को वैसे भी नेचुरल फूड से मिल जाती है दूध में लैक्टोज होता है, फल में फ्रुक्टोज होता है | ये सब नेचुरल शुगर के एग्जांपल है जब आप दूध पीते हो या फ्रूट्स खाते हो आपको ये नेचुरल शुगर मिलती है जिनसे एनर्जी मिल जाती है आपको और यही नेचुरल शुगर आपकी शरीर की जरूरत को पुरा कर देती हैं | दूसरी एडेड शुगर वो होती है जो एक्स्ट्रा चीनी डाल गई है हमारे खाने में जो हम खाना बनाते समय या भोजन बनाते समय अतिरिक्त चीनी डालते हैं | और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार हमारी शरीर को कोई भी एडेड शुगर की जरूरत नहीं है अच्छे से काम करने के लिए | तो शरीर की तरफ से जरूरत जीरो एडेड शुगर की है लेकिन फिर भी अगर आप पूछो कितना बर्दास्त कर सकती है हमारी शरीर | कितनी एडेड शुगर खाना सुरक्षित है हमारी शरीर के लिए, तो जरूरी जो मापदंड है एक व्यस्क आदमी के लिए है 36 ग्राम एक दिन में और एक औरत के लिए है 25 g एडेड शुगर एक दिन में और इस मिंडा की 600 ml की बोतल में 82.8 ग्रा चीनी है, एक बोतल पी और आप अपनी रोज कि जरूरत लिमिट से आगे निकल जाओगे | इसलिए हर रोज इतनी सारी एडेड शुगर आपको बीमार बहुत बीमार करने के लिए काफी है | तुरन्त तो कुछ नहीं होगा आपको एक दो दिन आपने ऐसा कर लिया ज्यादा कुछ नहीं होगा लेकिन अगर आप दिन प्रतिदिन साल भर साल यही करते गए, इस अतिरिक्त एडेड शुगर की वजह से बाद में जाकर आपको जॉइंट्स में पेन होगा, स्किन एजिंग होगी, लिवर डैमेज होगा, टाइप टू डायबिटीज होगा, पैंक्रियाज आपका ब्रेक डाउन कर जाएगा, किडनी फेलियर होगा, हार्ट अटैक का रिस्क कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा और फाइनली मोटापा ओबेसिटी भी होगी | इस चीज को मैंने लास्ट में मेंशन किया है क्योंकि ज्यादातर लोग जब शुगर के बारे में सोचते हैं तो उन्हें लगता है कि क्या है थोड़े मोटे ही तो हो जाएंगे लेकिन बाकी सारी बीमारी इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि ये सब भी अत्यधिक शुगर की वजह से होते हैं। शुगर के बारे में सबसे खतरनाक बात यह है कि आप इससे ठीक उसी तरीके से आदि हो सकते हो जिस तरीके से लोग ड्रग्स से आदि होते हैं ।

2017 की एक स्टडी ने शुगर एडिक्शन को कोकेन एडिक्शन से कंपेयर किया था | यही कारण है कि आप अपने आसपास अपने जिंदगी में लोगों को जब देखते हो जो लोग सॉफ्ट ड्रिंक्स पीते हैं वो काफी लगातार सॉफ्ट ड्रिंक्स को पीते हैं। ऐसे बहुत कम लोग आपको मिलेंगे जो कहेंगे कि मैं सिर्फ तीन-चार महीने में एक बार ही सॉफ्ट ड्रिंक पीता हूं जो लोग शुगर से एडिक्टेड है वो या तो लगातार सॉफ्ट ड्रिंक्स पिएंगे अगर लगातार सॉफ्ट ड्रिंक्स नहीं पी रहे तो वो कैंडीज खाएंगे, चॉकलेट्स खाएंगे, मिठाइयां खाएंगे, आइसक्रीम खाएंगे जिन चीजों में ज्यादा चीनी पाई जाती है ज्यादा एडेड शुगर की मात्रा देखने को मिलती है वो लोग रोज इन चीजों को कंज्यूम करेंगे | शुगर ओवरडोज की बात बाकी देशों में कई समय से चलने लग रही है | यही कारण है कि साल 1964 में पेप्सी ने डाइट पेप्सी लॉन्च करी थी और कोकाकोला ने साल 1982 में डाइट कोक लॉन्च करी | इन दोनों डाइट वर्जंस में सॉफ्ट ड्रिंक्स के जीरो कैलोरीज है और जीरो एडेड शुगर है, तो क्या इसका मतलब यह हुआ ये सेफ टू ड्रिंक है | इन डाइट सॉफ्ट ड्रिंक्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि एस्पेट सचिन और शक्र लोस और इन आर्टिफिशियल स्वीटनर्स की एक बड़ी कंट्रोवर्शियल हिस्ट्री रही है। कई ऐसी स्टडीज करी गई है जिन्होंने इन्हें कैंसर से लिंक किया था जिसकी वजह से कई जगहों पर इन्हें बैन भी कर दिया गया था | लेकिन कुछ ऐसी भी स्टडीज करी गई है कुछ और ऑर्गेनाइजेशंस के द्वारा जिन्होंने कहा कि नहीं ऐसा कोई कैंसर लिंक नहीं पाया गया है | एक लेटेस्ट स्टडीज 24 मार्च 2022 को फ्रांस में करी गई थी ये 1 लाख वायस्को पर सात आठ सालों के लिए, इन्होंने देखा कि कोई इफेक्ट आ रहा है लोगों में कि नहीं तो, इन्होंने पाया कि एस परर टेम से एक्चुअली में कैंसर का रिस्क बढ़ता है | अगर आप सेंटर फॉर साइंस इन द पब्लिक इंटरेस्ट CSPI की ऑफिशियल वेबसाइट देखेंगे तो वहां पर भी आपको दिखेगा कि एस्पे टेम को कैंसर से लिंक्ड पाया गया है। कुछ और स्टडीज ने इन आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को लिंक किया है, हार्ट डिजीज स्ट्रोक डायबिटीज किडनीज की टॉक्सिन की टॉक्सिन हेल्थ प्रॉब्लम्स और बर्थ डिफेक्ट से भी, लेकिन फिर भी यहां बेनिफिट ऑफ डाउट मैं इन्हें देना चाहूंगा कि जो भी स्टडीज इनके फेवर में करी गई है। वह सच है और बाकी सारी गलत है | यह चीज साइड में रखकर अब बाकी इंग्रेडिएंट्स को गौर से देखते हैं | ये बस शुरुआत है एक-एक करके मैं आपको बताने वाला हूं कि और क्या-क्या चीजें इनके अंदर डली हुई है | अगला खतरनाक इंग्रेडिएंट्स में pso2 के आपको कई न्यूज़ आर्टिकल्स मिल जाएंगे जो कैरेमल को कैंसर से लिंक करते हैं। कैरेमल है क्या चीज वैसे बेसिकली चीनी को जलाना हुआ है ये शुगर को हीट किया जाता है अमोनिया और सल्फाइट्स के साथ ऐसा करने से एक बाय प्रोडक्ट निकलता है फोर मिथाइल जल, कई स्टडीज ने इसे कैंसर से लिंक किया है और कैलिफोर्निया स्टेट में इसे कार्सिनोजेन लिस्ट किया जाता है । वहां का कानून कहता है कि इस कार्सिनोजेन की मात्रा किसी भी खाने में पीने की चीज में अगर 29 माइक्रोग्राम से ज्यादा है तो अनुमति नहीं है लेकिन 29 माइक्रोग्राम से कम अलाउड है। 2012 के न्यूज़ आर्टिकल के अकॉर्डिंग इन सॉफ्ट ड्रिंक के सैंपल्स में 138 माइक्रोग्राम्स तक पाया गया था । परमिटेड लिमिट से चार गुना ज्यादा | इस कंट्रोवर्सी के बाद कोका कोला ने कहा कि वो अपना फॉर्मूला बदल देंगे और एक नया फॉर्मूला इस्तेमाल करेंगे जिसमें 4m की मात्रा कम होगी, लेकिन ये चेंजेज इन्होंने सिर्फ अमेरिका में किए इंडिया जैसे देशों में और बहुत सारे अलग-अलग विकासशील देशों में इनको लेकर कोई कानून नहीं बने हुए हैं । सिमिलर न्यूज़ 2014 में दोबारा देखने को मिली थी जब एक ऑर्गेनाइजेशन ने अलग-अलग सॉफ्ट ड्रिंक्स को चेक किया 4m की मात्रा जांच करने के लिए और एक बार फिर से इन सारी सॉफ्ट ड्रिंक्स में इसकी ज्यादा मात्रा पाई गई थी। यहां पे एक साइड नोट मैं आपको बताना चाहूंगा कोई भी खाने की चीज जब एक हद से ज्यादा जल जाती है तो वो आपकी हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होती अगर आपकी जो ब्रेड है जो आपने टोस्टर में डाल रखी है वो काली पड़ गई है या आपकी सब्जियां इतनी ज्यादा जल चुकी है कि उनमें काला काला दिखने लग रहा है उन्हें मत खाइए इनमें एक्रल माइड की ज्यादा मात्रा देखने को मिलती है और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार एक्रल माइड एक प्रोबेबल ह्यूमन कार्सिनोजेन है । हाई चांस है कि इससे कैंसर हो सकता है। यही सेम लॉजिक यहां पर भी इस्तेमाल हो रहा है जब चीनी को आप अगर एक हद से ज्यादा जला दोगे कैरेमल बन जाता है लेकिन वो भी कैंसर कॉज कर सकता है ।

अब आप में से मिंडा - फेंटा पीने वाले लोग सोचेंगे चलो बाल-बाल बच गए हमारे लिए अच्छा है गुड न्यूज़ कि हमारी ड्रिंक्स में काला रंग नहीं डला हुआ तो अगली चीज आप लोगों के लिए, ये मिंडा और फेंटा जैसी ड्रिंक्स में ऑरेंज कलर कहां से आता है | ये लोग एक सिंथेटिक फूड कलर का इस्तेमाल करते हैं जिसका कोड नेम है e110 इसे सनसेट येलो एफसीएफ करके भी बुलाया जाता है और इसका केमिकल नेम है डाइसोडियम 6 हाइड्रोक्सी 54 सल्फो फिनाइल आजो 2 नेफ्थलीन सल्फोनेट। ये एक आजो डाई है जो वास्तव में पेट्रोलियम से लाई गई है लेकिन ये आपकी लाइफ के लिए बहुत जरूरी है। साल 1973 में ही एक पीडियाट्रिक थे बेंजामिन फाइन गोल्ड इन्होंने पाया कि आर्टिफिशियल फूड फ्लेवर्स जो हैं उनकी वजह से बच्चों में हाइपर एक्टिविटी देखने को मिलती है। बच्चों की अटेंशन पर भी फर्क पड़ता है इससे | यही कारण है कि आज से 22 साल पहले साल 2000 में नॉर्वे फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों ने इस सनसेट येलो एफसीएफ को बैन कर दिया था | बाकी देश इतने प्रोएक्टिव नहीं रहते इन चीजों को लेकर | क्या किया जाए साल 2007 में साउथ हैटन यूनिवर्सिटी ने एक स्टडी करी थी इन्होंने पाया कि इस ई 1110 का लिंक है बच्चों में अटेंशन डेफिसिट से बच्चों में हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर देखने को मिलता है। इस रिसर्च स्टडी के बाद यूके की जो फूड स्टैंडर्ड्स एजेंसी है अगले साल 2008 में उन्होंने इस इशू पर ध्यान देना शुरू किया, उन्होंने सरकार को रिकमेंड किया कि इन छह आर्टिफिशियल लस को बैन कर देना चाहिए। खाने से कोशिश करी कि यूरोपियन यूनियन तक ये बैन एक्सटेंड किया जा सके । 2010 में यूरोपियन यूनियन में ये रेगुलेशन लाई गई कि अगर किसी भी प्रोडक्ट में आर्टिफिशियल कलर्स पाए जाएंगे तो वहां पर एक लेबल लगाना पड़ेगा | इसके बाद काफी सारी कंपनीज ने एक्चुअली में ये डालना बंद कर दिया लेकिन सिर्फ यूरोपियन यूनियन में क्योंकि वहां पर इन्हें प्रॉब्लम हो रही थी । इससे एक बार फिर से बाकी सारे देशों में जहां पर ये रेगुलेशंस नहीं एजिस्ट करते वहां पर ये कंपनीज इन रूल्स को एक्सप्लोइट कर रही हैं और अभी भी सेम इंग्रेडिएंट्स का इस्तेमाल करने लग रही है। इंडिया में अगर आप मिंडा की बोतल पर पीछे घुमा कर देखोगे तो आपको ये लिखा हुआ दिखेगा कंटेंस परमिटेड सिंथेटिक फूड कलर ब्रैकेट में 110 110 । जैसा मैंने बताया कोड नेम है | ये कंपनीज हमेशा अपने प्रॉफिट के बारे में सोचती है ना कि लोगों की हेल्थ के बारे में जिन-जिन देशों में रेगुलेशन नहीं एजिस्ट करती वहां पर सस्ता कैंसर कॉजिंग सामान बेचते रहो क्या फर्क पड़ता है आज 2024 में भी इंडिया में कोई रेगुलेशन नहीं है।

वेटिव्सल प्राइवेट लैब में टेस्ट करवाए थे इन्होंने पाया कि इन सॉफ्ट ड्रिंक्स में बेंजीन पाई गई | बेंजीन एक ऐसी गैस है जो गाड़ी के एग्जॉस्ट से निकलती है, कोयले को जलाओ या तेल को जलाओ तो यह गैस निकलती है आमतौर पर कैंसर हो जाता है। इससे कोल्डडड्रिंक के अंदर ये गैस कैसे पाई जा रही है जांच की तो पाया गया कि ये जो बेंजोएट सल्ट्स हैं जैसे कि ये प्रिजर्वेटिव सोडियम बेंजोएट जब ये एस्कॉर्बिक एसिड से रिएक्ट करते हैं, एस्कॉर्बिक एसिड विटामिन सी होता है ये दोनों साथ में मिलकर बेंजीन बना देते हैं | इस रिएक्शन को बस हीट और लाइट की जरूरत है जब भी ये बॉटल्स बाहर एक्सपोज होती हैं गर्मी में और रोशनी में तो ये रिएक्शन हो जाता है इनके अंदर-अंदर | 2007 में जब ये कंट्रोवर्सी उठी तो कोर्ट केस किए गए । पेप्सी को और कोका कोला के अगेंस्ट अगले साल 2008 में खबर आई कि कोका कोला अपने प्रोडक्ट से सोडियम बेंजोएट को हटा देगा नहीं इस्तेमाल करेगा।

         अगले इंग्रेडिएंट्स, ड्रिंक्स में फास्फोरिक एसिड होता है मोल्ड और बैक्टीरिया की ग्रोथ को प्रिवेंट करने के लिए | ये कोई इतनी बेकार चीज नहीं है क्योंकि दूध में भी फास्फोरिक एसिड पाया जाता है लेकिन फास्फोरिक एसिड का नुकसान यह है कि ज्यादा इसे लोगे तो इससे दांत खराब हो सकते हैं | तो यही रीजन है एक छोटा सा एडवाइस जो अक्सर बच्चों को दिया जाता है कि ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक्स मत पिया करो दांत खराब हो जाएंगे। दांत खराब होना फास्फोरिक एसिड की वजह से बाकी सारी चीजों से अगर आप कंपेयर करोगे सबसे इनसिग्निफिकेंट चीज लगती है। इसके अलावा अगर हम बाकी बचे हुए इंग्रेडिएंट्स की थोड़ी एनालिसिस करें तो एसिडिटी रेगुलेटर्स डले होते हैं। मैं मिंडा का ही एग्जांपल ले रहा हूं लेकिन ये सारी चीजें आपको बहुत सी सॉफ्ट ड्रिंक्स में मिलेंगी । एसिडिटी रेगुलेटर 330 जो कि सिट्रिक एसिड है ये आमतौर पर आपके नींबू में भी होता है और इससे थोड़ा सा खट्टा टेस्ट आता है वही टेस्ट लाने के लिए इसे ऐड किया जाता है | इसके अलावा 331 जो है, वो है सोडियम साइट्रेट एक क्रिस्टली सॉल्ट जो सिट्रिक एसिड के ही फर्मेंटेशन से बनता है । ये वास्तव  में एसिडिटी कम करने में मदद करता है। सॉफ्ट ड्रिंक की और इसके अलावा खराब ना आ जाए सॉफ्ट ड्रिंक ऑक्सीडो भी प्रिवेंट करता है।

        इसके अलावा इंग्रेडिएंट्स डाले हुए हैं स्टेबलाइजर्स e 14450 जिसे कहा जाता है स्टार्च सोडियम ऑक्टेल सकने और e445 जिसे जाना जाता है एज एस्टर गम स्टेबलाइजर्स और इमल्स फायर्स । वास्तव में दो लिक्विड जो एक दूसरे के अंदर मिल नहीं सकते उसे मिलाने का काम करते हैं स्टेबलाइजर्स जो सॉल्यूशन की होमोजेनििटी है उसे भी मेंटेन करते हैं | मतलब कोई फॉर्मेशन ना हो जब आप किसी भी सॉफ्ट ड्रिंक को देखते हैं वो एक जैसी साधारण दिख रही होती है ऐसा नहीं कि उसमें कोई सॉलिड फॉर्म होने लग गए हो बीच-बीच में ठीक है ये इसमें कुछ इतनी हानिकारक चीज नहीं है और फाइनली इसके बाद कार्बोनेटेड वाटर डला होता है सॉफ्ट ड्रिंक में जो पानी है विद कार्बन डाइऑक्साइड इससे वो फिज आता है कोल्ड ड्रिंक का जिन लिक्विड्स में कार्बन डाइऑक्साइड डला होता है उन्हें हम सोडा करके पुकारते हैं | तो सारी ये सॉफ्ट ड्रिंक्स हैं ये बेसिकली शुगर सोडास है क्योंकि अगर हम बाकी सारे इंग्रेडिएंट्स को इग्नोर कर दें तो मेन इंग्रेडिएंट्स जो यहां पर है वो है पानी वास्तविक रूप से कार्ब टेड वाटर जिस पानी में गैस है और चीनी इसलिए शुगर सोडा तो ये है |

        2014 में कोका कोला Pepsi - Cola को देखने को मिलती है स्कूल्स में क्रिकेट टूर्नामेंट्स और क्विज ऑर्गेनाइज किए जाते हैं जिन्हें कोका-कोला स्पंस करती है | कोकाकोला की खुद की एड्स में आपको बच्चे देखने को मिलते हैं मतलब ये बच्चों के लिए मार्केटिंग नहीं करेंगी लेकिन बच्चों के साथ मार्केटिंग करेंगी |  कई सेलिब्रिटीज हैं जो अपनी आंखें खोल रहे हैं | इन चीजों को लेकर जैसे कि विराट कोहली ने कहा था कि वो अपना पेप्सी  का जो कांट्रैक्ट है उसे रिन्यू नहीं करेंगे क्योंकि वो कोई ऐसी चीज एंडोर्स नहीं करना चाहते जो वो खुद कंज्यूम नहीं करते | 2014 में अमिताभ बच्चन ने भी कहा था कि उन्होंने पेप्सी की ऐड करनी बंद कर दी | जब एक छोटी बच्ची ने उनसे एक स्कूल इवेंट में पूछा कि वो ऐसी चीज क्यों एंडोर्स करते हैं जिसे टीचर जहर बताती है लेकिन एक बड़ी लंबी लिस्ट है | सेलिब्रिटीज और स्पोर्ट्समैन की जो एक्चुअली में आज के दिन तक इन कंपनीज को एंडोर्स करने लग रहे हैं प्रमोट करने लग रहे हैं मैं उनकी आंखें खोलना चाहूंगा कि ये चीजें करना इतना आसान नहीं है शुगर एडिक्शन को खत्म करना क्योंकि अगर आप अपने आप से कहोगे कि मैं सिर्फ तीन-चार महीने में एक बार इन्हें पिऊंगा उससे क्या कौन सी बड़ी चीज है ये तीन-चार महीने एक दो महीने में बदल जाएंगे फिर कुछ हफ्ते में और फिर आप  शुगर आइटम्स कंज्यूम करने ल लग जाओगे | शुगर एडिक्शन को फाइट करना बहुत जरूरी है इसलिए अगर आप सोच रहे हो कहीं फ्रेश फ्रूट जूस और नींबू पानी इसका अल्टरनेटिव हो सकते हैं तो ये गलत है हां ये चीज सच जरूर है कि फ्रेश फ्रूट जूसे सारे केमिकल्स नहीं मिलेंगे कैंसर कॉजिंग चीजें नहीं मिलेंगी, लेकिन शुगर फिर भी आपको मिलेगी | नींबू पानी जैसी चीजों में भी डेड शुगर होती है और फ्रेश फ्रूट जैसे इतने कंसंट्रेटेड होते हैं कि एक गिलास अगर आपको ऑरेंज जूस निकालना है तो कम से कम छह संतरे चाहिए होंगे और जैसा मैंने बताया था फ्रूट्स के अंदर नेचुरल शुगर होती है | उन नेचुरल शुगर को अगर आप नॉर्मल मात्रा में लोगे कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर इतना कंसंट्रेट कर दोगे उन 10-10 संतरे एक साथ खाने लग जाओगे एक छोटे से ग्लास ऑरेंज जूस का इक्विवेलेंट जो हुआ तो आपके लिए हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होगा | 


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