बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री Vs ओटीटी प्लेटफॉर्म्स | ओटीटी प्लेटफॉर्म्स | ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग और उनके बढ़ते लोकप्रियता के बारे में जानकारी

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री Vs ओटीटी प्लेटफॉर्म्स |  ओटीटी प्लेटफॉर्म्स |  ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग और उनके बढ़ते लोकप्रियता के बारे में जानकारी


ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग और उनके बढ़ते लोकप्रियता के बारे में जानकारी

पिछले दो सालों से बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री की हालत काफी खराब चल रही है। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण जिसे मेन रीजन माना जाता है वो है ओटीटी प्लेटफॉर्म्स। कहा जा रहा है कि लोग आज के दिन सिनेमा हॉल में जाकर पिक्चर देखने की जगह अपने घर पर ही बैठकर इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्में देखना प्रेफर कर रहे हैं, इसकी वजह से फिल्म इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि इंटरेस्टिंग चीज ये है शुरुआती दिनों में ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से फिल्म प्रोड्यूसर्स को बहुत फायदा हुआ था। इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने कई करोड़ों खर्च किए थे फिल्मों को अपने प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए कई केसेस में 100-100 करोड़ रुपए तक दिए जाते थे फिल्म के बजट से ज्यादा पैसे देते थे। ये ओटीटी वाले कि हमारे प्लेटफार्म पर ये फिल्म आ जाए। लेकिन अब इन्होंने फिल्मों को रिजेक्ट करना शुरू कर दिया है। फिल्म प्रोड्यूसर्स को कहा जाता है कि पहले सिनेमा हॉल में फिल्म रिलीज करो उसके बाद हम डिसाइड करेंगे कि कितने पैसे दिए जाए इस फिल्म के लिए। कई फिल्म प्रोड्यूसर्स जिन्होंने अपनी फिल्में यह सोचकर बनाई थी कि सीधा सिर्फ ओटीटी पर पर ही रिलीज करेंगे उन्हें अब भारी नुकसान हो रहा है। ऐसे कैसे हुआ? यह सब क्या है? यहां पर बिजनेस मॉडल इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का आइए समझने की कोशिश करते हैं ।

आपके द्वारा उठाए गए सवाल काफी महत्वपूर्ण है, और आपने बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के आगमन के प्रभाव को बहुत अच्छे से समझाया है। इससे पहले कि हम विस्तार से बिजनेस मॉडल को समझें, यह महत्वपूर्ण होगा कि हम समझें कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बढ़ता चलन क्यों है। पहले तो, इंटरनेट का उपयोग और इंटरनेट कनेक्टिविटी की वृद्धि ने लोगों को नई मीडिया उपभोक्ताओं के रूप में प्रेरित किया है। लोग अब अपने समय के अनुसार वीडियो कंटेंट को देख सकते हैं, जिसमें इंटरनेट स्ट्रीमिंग सेवाएँ शामिल हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स इस मायने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।


आपने कई बार सुना होगा कि जब लोग कलर में ब्रॉडकास्ट किया जाने लगा वैसे तो टेलीविजन का इंट्रोडक्शन इंडिया में लेट 1950 में ही हो गया था, लेकिन इस पॉइंट को टर्निंग पॉइंट कंसीडर किया जाता है इंडियन टेलीविजन हिस्ट्री का क्योंकि दूरदर्शन को ब्रॉडकास्ट किया जाने लगा कलर में सैटेलाइट का इस्तेमाल करके इनसेट 1A |

 कुछ दशक फास्ट फॉरवर्ड करो तो अगला टर्निंग पॉइंट आया साल 2000 में जब इंडियन गवर्नमेंट ने अलाव किया कि देश में डीटीएच सैटेलाइट टेलीविजन हो सकता है। डायरेक्ट टू होम सैटेलाइट टेलीविजन इसी की मदद से ही साल 2003 में डिश टीवी पहली डीटीएच फैसिलिटी थी। इससे पहले केबल टीवी के जरिए लोग टीवी देखते थे। केबल्स बिछाई जाती थी जो केबल्स आपके घर तक आती थी जिससे आपका टेलीविजन चलता था, लेकिन सैटेलाइट टीवी का मतलब था कि आप अपने घर में ही एंटीना लगा सकते थे जिससे सैटेलाइट सिग्नल्स आप रिसीव कर सके। आपको याद होगा डिश लगाई जाती थी आपकी बालकनी पर या फिर घर की छत पर और उस सिग्नल को कन्वर्ट करने के लिए घर पर टीवी के पास में एक सेट टॉप बॉक्स लगाना पड़ता था। वैसे आज के दिन भी कई लोग घर में इसी का ही इस्तेमाल करते हैं इससे हुआ क्या कि लोगों के पास सडन और चॉइस आ गई टीवी पर चैनल्स देखने की ढेर सारे और वैरायटी के चैनल्स ऑफर किए जाने लगे। और कुछ साल अगर और फास्ट फॉरवर्ड करें तो इंट्रोडक्शन होती है वेब 2.0 की सोशल मीडिया वेबसाइट्स में एक्सपो शियल ग्रोथ देखने को मिली और साथ ही साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी उभर कर आने लगे। साल 2009 वो साल था जब शुरू करी स्मार्ट टीवीज और गेमिंग कंसोल्स के साथ। अब इस समय पर netflix's और मार्क रंडोल्फ के द्वारा शुरुआत में इसे एक ऐसा प्लेटफार्म बनाया गया था जिस पर लोग मूवी रेंटल्स कर सके।

साल 1998 में netflix.com एक वेबसाइट थी अब इस वेबसाइट पर जाकर एक मंथली पेमेंट देकर अनलिमिटेड डीवीडी रेंटल्स करवा सकते थे मतलब जो फिल्में आपको देखनी है आप उनकी डीवीडी पर क्लिक करिए और ऑर्डर कराइए। आपके घर में डिलीवरी होगी इन डीवीडी की लेकिन एक इंटरेस्टिंग एल्गोरिथम जिसका netflix's का इस्तेमाल करना शुरू किया इनके सिस्टम ने नोट डाउन किया कि किस टाइप की फिल्में किस तरीके के लोगों को पसंद आ रही है और उनकी फिल्मों के चॉइस के बेसिस पर उन्हें और फिल्में रिकमेंड करनी शुरू करी फिल्में रिकमेंड करने का मतलब डीवीडी रेंट करने के लिए रिकमेंड करना शुरू किया। उस समय पर netflix's को रेंट कर सकते थे या खरीद सकते थे। सब्सक्रिप्शन सर्विस थी कि अगर आप मंथली पैसे देते रहोगे इन्हें तो अब अनलिमिटेड डीवीडी रेंट करा सकते।इंटरनेट बड़ी तेजी से इंप्रूव हो रहा है। आने वाले टाइम में लोग प्रेफर करेंगे कि डीवीडी रेंट करने की जगह वो ऑनलाइन ही स्ट्रीम करके देख ले फिल्म को। 

netflix's बनाना एक्चुअली में एक बहुत बड़ा एडवांटेज है हम हर तरीके की ऑडियंस को खुद से ही सेटिस्फाई कर सकते हैं। netflix.in प्लेटफॉर्म्स डायरेक्टली व्यूअर तक पहुंच जाते हैं इसलिए इन्हें ओवर द टॉप कहा जाता है। सही माइनों में इंडिया में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की ग्रोथ 2013 के बाद ही देखने को मिली जब z ने अपना टीवी लॉन्च किया और सोनी3 में ट टीवी पर वो टीवी शोज आने लगे जो आमतौर पर टीवी पर दिखाए जाते थे। जैसे कि sony's पर हॉटस्टार ने अपनी एंट्री मारी साल 2015 में जिसे आज के दिन डिजनी प्स हॉटस्टार बुलाया जाता है और इसके अगले साल जनवरी 2016 में एक ऐसी चीज होती है जो इस पूरी इंडस्ट्री को हमेशा के लिए बदल डालती है। इन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अब और जनता एक्सेस कर सकती। इंटरनेट को और इन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पे सस्ते में एक्चुअली में स्ट्रीम कर सकती है। यही कारण है कि आज के दिन 40 से ज्यादा ओटीटी प्लेटफॉर्म्स हैं इंडिया में और जाहिर सी बात है कि इन्हें काफी सक्सेस भी मिल रहा है।
 तो किस बिजनेस मॉडल पर ये सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स एक्चुअली में काम करने लग रहे हैं। आइए समझते हैं बेसिकली दो तरीके होते हैं ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के पास कंटेंट को एक्वायर करने के, पहला है कि किसी फिल्म के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स खरीदे जाए। अगर किसी और प्रोडक्शन हाउस ने कोई फिल्म बना रखी है उसके स्ट्रीमिंग राइट्स कुछ पैसे देकर खरीदे जा सकते हैं और अपनी कंटेंट लाइब्रेरी में डाले जा सकते है।

दूसरा है सेल्फ प्रोडक्शन फिल्मों की या वेब सीरीज की प्रोडक्शन खुद से करना खुद के पैसे इन्वेस्ट करके। तो इस तरीके से आपके प्लेटफॉर्म पर फिल्में और टीवी शोज आ जाएंगे। लेकिन उनका इस्तेमाल करके अब पैसे कैसे कमाए जाए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के पास बेसिकली  तरीके हैं, मोनेटाइजेशन के जिन्हें तीन मोनेटाइजेशन के मॉडल्स बुला सकते हो। 

पहला है एओडी एडवर्टाइज इंग वीडियो ऑन डिमांड मॉडल इस मॉडल के तहत आप ये सारी फिल्में और टीवी शोज फ्री में देख सकते हो लेकिन प्लैटफॉर्म पर आपको एड्स देखने को मिलेंगी या फिर बीच-बीच में फिल्म के ऐड्स आएंगे और अगर आपके पास एक बड़ी ऑडियंस है आपके प्लेटफॉर्म पे ये फिल्में देखने वाली तो आप कंपनी से पैसे ले सकते हो ये ऐड्स दिखाने के। ये एक एंट्री लेवल मॉडल है इसके जरिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स एक बड़ी ऑडियंस तक पहुंच सकते हैं ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स तक पहुंच सकते हैं। अपने प्लेटफार्म पर उन्हें बुला सकते हैं क्योंकि यूज करना बेसिकली फ्री है। इस मॉडल का सबसे बड़ा एग्जांपल खुद youtube भी एओडी मॉडल का इस्तेमाल करता था। अनटिल रिसेंटली जब तक उन्होंने अपना सब्सक्रिप्शन ऑप्शन नहीं ऐड कर दिया था।

दूसरा मॉडल है यहां पर एसवीओ सब्सक्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड अगर लोगों को आपके प्लेटफार्म पर कुछ देखना है तो उसके लिए सब्सक्रिप्शन फीस पे करनी पड़ेगी ये आमतौर पर एक मंथली फीस होती है। और जो प्लेटफॉर्म्स वेल एस्टेब्लिश है जानेमाने हैं वही इसका इस्तेमाल करते हैं। ये बेसिकली वैसा है कि अगर सिनेमा हॉल में आप पिक्चर देखने जाते हो उसके लिए कुछ पे करते हो यहां पर आप घर बैठे-बैठे अगर आपको कोई स्पेसिफिक पिक्चर देखनी है उसके लिए आप अलग से पे करो।

तीसरा मॉडल है यहां पर हाइब्रिड मॉडल जहां पर इन तीनों मॉडल के अलग-अलग परम्यूटेशन कॉमिनेशन इस्तेमाल किए जा सकते हैं। सबसे कॉमन है एओडी और एसवीओ को कंबाइन कर देना जहां पर फ्री कंटेंट भी है और आप सब्सक्रिप्शन भी ले सकते हो। अगर आपको  एड्स हटानी है तो आप सब्सक्रिप्शन पे करो। youtube 1 प्लेयर भी इसका इस्तेमाल करते हैं और जहां पर सब्सक्राइबर्स को एक मंथली फीस पे करनी पड़ती है। लेकिन अगर कोई बड़ी फिल्म आ रही है तो उसके लिए एक्स्ट्रा फीस पे करनी पड़ती है। z5 कई बार यह करता है और amazon-in फिल्में बनाना चाहते हैं। ओरिजिनल टीवी शोज बनाना चाहते हैं।

अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का ये बिजनेस मॉडल बड़ा अनप्रिडिक्टेबल सा है  कौन सी फिल्मों को खरीदने में पैसा खर्च किया जाए कौन सी फिल्मों को बनाने में पैसा खर्च किया जाए। और उसके बदले कितने लोग हमारे प्लेटफार्म को एक्चुअली में सब्सक्राइब करेंगे। यह डायरेक्ट रिलेशन बताना बड़ा मुश्किल है, पता नहीं कौन सी फिल्म चलेगी कौन सी नहीं चलेगी, किस फिल्म के बेसिस पर सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर्स आएंगे। इन प्लेटफॉर्म्स को काफी रिस्क लेना पड़ता है। पहले से पैसे इन्वेस्ट करने पड़ते हैं कि कोई बड़े एक्टर की फिल्म आने लग रही है तो इसको हम पहले से ही पैसे देकर खरीद लेते हैं। चांस काफी हाई है कि यह फिल्म चलेगी हमारे पास ज्यादा सब्सक्राइबर्स आएंगे। यही कारण है कि कुछ एक्टर्स की फिल्मों के लिए यह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स बहुत पैसा देने को तैयार रहते हैं, जैसे कि कमल हसन की 2022 की फिल्म विक्रम जिसने रिलीज होने से पहले ही 250 करोड़ कमा लिए थे। कैसे बड़े-बड़े एक्टर्स की भी फिल्में फ्लॉप हो रही है जैसे कि अक्षय कुमार की तीन से चार फिल्में हाल ही में पूरी तरीके से फ्लॉप हुई। वो एक बड़े एक्टर हैं उनका बड़ा नाम है। तो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने रिलाइज किया कि शायद यह सही आईडिया नहीं है इतना ज्यादा पे करना इन फिल्मों के लिए, इसलिए आज के दिन ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स कहते हैं कि अपनी फिल्मों को पहले सिनेमा हॉल में रिलीज करो और बाद में हम उसे खरीदेंगे अपने प्लेटफार्म पर दिखाने के लिए। ये जज करके कि वो फिल्म कितनी सक्सेसफुल हुई सिनेमा हॉल में कितनी नहीं हुई। ऐसा करने से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को मार्केटिंग पे भी पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा एज कंपेयर टू अगर कोई फिल्म सिर्फ ओटीटी पर दिखाई जाती तो उसकी मार्केटिंग की स्पेंडिंग का ख्याल पीवीआर की मूवी की टिकट का प्राइस था ₹ 77, यहां पर बाकी एक्सपेंसेस इंक्लूड नहीं किए जा रहे हैं जो पॉपकॉर्न खरीदने का प्राइस आएगा या फिर सिनेमा हॉल तक जाने का एक कॉस्ट पड़ेगी उस सबको हटा दो सिर्फ फिल्म देखने का सिनेमा हॉल में कॉस्ट पड़ रही है ₹ 7। और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आपको पूरी कंटेंट लाइब्रेरी का एक्सेस दे रहे हैं एक महीने के लिए इससे आधी कॉस्ट में। ज्यादातर जो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स हैं शुरुआत में इन्होंने बहुत से पैसे स्पेंड करके अपने लिए एक अच्छी कंटेंट लाइब्रेरी बना ली जिससे लोग आकर्षित हो इन प्लेटफॉर्म्स को जॉइन करने पर और अब इन्हें इतने पैसे स्पेंड करने की जरूरत नहीं उन नई फिल्मों को खरीदने के लिए। फिल्म इंडस्ट्री के लिए ये काफी प्रॉब्लेम चीज है स्पेशली वो लोग जो रिलाई करते थे सिनेमा हॉल से पैसे कमाने पर यह बात सच है कि कुछ लोग अभी भी सिनेमा हॉल में जाकर पिक्चर देखना प्रेफर करते हैं स्पेशली अगर कोई बड़े बजट की फिल्म है जिसमें बहुत सारा वीएफए का इस्तेमाल किया गया है। लेकिन छोटी-मोटी जो फिल्में होती थी जिन्हें पहले लोग आराम से देखते थे सिनेमा हॉल्स में जाकर उन्हें अब बहुत कम देखा जाने लग रहा है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स फिल्म उत्पादकों के लिए एक नया संभावित रोजगार का स्रोत हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स ने फिल्म निर्माताओं को नई औद्योगिक मॉडल्स प्रदान किए हैं, जिसमें उन्हें विभिन्न आय स्रोतों से लाभ उठाने का मौका मिलता है। इसके अलावा, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लोगों को बहुत सारे चयन के अवसर प्रदान करते हैं। यहां पर, उपभोक्ताओं को विभिन्न जातियों और भाषाओं के कंटेंट का विकल्प मिलता है, जिसका मतलब है कि ये प्लेटफॉर्म्स विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को लक्षित कर सकते हैं।

फिल्म निर्माताओं के लिए, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स एक नया माध्यम प्रदान करते हैं जिसमें वे अपनी फिल्मों को विश्वभर के दर्शकों के साथ साझा कर सकते हैं। यह उन्हें व्यापारिक रूप से और भी सक्रिय बनाता है, तथा उन्हें नए और अधिक विविध दर्शकों के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का उपयोग और उनके बढ़ते लोकप्रियता के बारे में जानकारी प्राप्त करके, फिल्म निर्माताओं को यह समझने में मदद मिलती है कि वे अपने कंटेंट को संदर्भ में कैसे डिजाइन कर सकते हैं ताकि वे आधुनिक और डिजिटल दर्शकों को खुश कर
सके।

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