Dhokebaz Dost - धोखेबाज दोस्त

Dhokebaz Dost - धोखेबाज दोस्त

धोखेबाज दोस्त

एक सुन्दर सा छोटा गांव है रामपुर, सभी लोग अपने अपने कामों मैं खुश रहते थे। उसी गांव मे धनीराम और मनीराम रहता था । दोनों आपस में दोस्त थे, वैसे मनीराम, धनीराम को अपना सच्चा दोस्त मानता था और दोस्ती की अहिम्यत को भी अच्छे से समझता था। दोनो दोस्त गरीब थे पर खुश थे।
एक दिन धनीराम के मन में ख्याल आया कि क्यों ना, एक दूसरे शहर जाकर कुछ पैसे कमाया जाए, इतना सोचते सोचते धनीराम के मन में आया कि क्यों ना मनीराम को भी साथ लेकर जाया जाए जिससे दोनों खूब सारा पैसा कमाएंगे और फिर लौटते समय वह मनीराम से उसका पैसा किसी तरह ले लेगा अपनी चाल को पूरा करने के लिए उसने मनीराम को दूसरे शहर जाने के लिए मना लिया । धनीराम और मनीराम दोनों अपने नगर से खूब सारा सामान लेकर दूसरे शहर पहुंच गए कुछ महीने तक वही रहकर धनीराम और मनीराम ने सामान को काफी अच्छी कीमत में बेचा जब दोनों ने अच्छी खासी रकम इकट्ठा कर ली तो दोनों ने एक दिन अपने नगर लौटने का सोचा ।  धनीराम ओर मनीराम दोनों जंगल के रास्ते से ही घर की ओर चल दिया, रास्ते में चलते-चलते धनीराम ने मनीराम से कहा मित्र देखो अगर हम अपने नगर इतना सारा धन लेकर जाते हैं तो समस्या हो सकती है चोर इसे चुरा सकते हैं लोग हमसे जलन का भाव रखने लगेंगे और कुछ लोग उधार भी मांगने लगेंगे ऐसे में बेहतर होगा कि हम आधा धन इसी जंगल में छुपा देते हैं। मनीराम ने धनीराम की बात पर यकीन करके धन को उसी जंगल में छिपाने के लिए हां कर दिया। धनीराम ने गड्ढा खोदकर धन को जंगल में एक पैड. के पास छिपा दिया ओर फिर घर की ओर चल दिया।

कुछ दिनों बाद बिना अपने दोस्त को बताए धनीराम मौका देखकर अकेले सारा धन उस जंगल से लेकर आ गया।  समय बीतता गया एक दिन मनीराम को पैसे की जरूरत पड़ गई तो मनीराम ने सीधे अपने मित्र धनीराम के पास गया और कहने लगा मित्र मुझे पैसे की जरूरत है चलो ना जंगल से पैसे निकाल कर ले आते हैं, धनीराम मनीराम की बात सुनते ही खुशी खुशी राजी हो गया और दोनों जंगल की ओर निकल गए जल्द ही दोनों उस पेड़ के पास पहुंच गया जहां पैसे छुपाए थे, जैसे ही मनीराम ने गड्ढा खोदा तो वह पैसे ना देखकर चौक गया इतने में ही धनीराम शोर मचाना शुरू कर दिया और मनीराम पर चोरी का आरोप लगा दिया, धोखेबाज तुमने सारे पैसे निकाल लिए ।  गांव में चारो तरफ हो हल्ला हो गया मनीराम ने सारे पैसे चुरा लिया, मनीराम धोखेबाज है, मनीराम चोर है। उसके गांव का सरपंच न्यायधीश समझदार के साथ साथ एक ज्ञानी व्यक्ति था ।

धनीराम इन बातों को ले कर गांव के सरपंच न्यायधीश के पास पहुंच गया और न्यायधीश को सारा मामला सुना दिया और जब न्यायधीश ने सारा मामला सुना तो सच्चाई का पता लगाने के लिए अपने दिव्य शक्ति से परीक्षा लेने का निर्णय लिया, इसके बाद न्यायाधीश ने दोनों को आग में हाथ डालने का आदेश दिया चतुर धनीराम ने कहा आग में हाथ डालने की क्या जरूरत है खुद वन देवी मेरी सच्चाई की गवाही देगी। न्यायाधीश ने धनीराम की बात मान ली उसके बाद सारा गांव वाला उस जंगल में पहुंच गए जहां धनीराम और मनीराम ने अपने पैसे को एक गड्ढे में छिपा दिए थे, वहां पहुंचकर दोस्त धनीराम पास के एक सूखे पेर में छिप गया और जैसे ही न्यायाधीश ने वन देवी से पूछा कि आखिर धन की चोरी किसने की तो जंगल से आवाज आई मनीराम चौरी की है। इतना सुनते ही मनीराम ने जिस पेड़ की तरफ से आवाज आई उसी पेड़ में आग लगा दी आग लगते ही पेड़ से चिल्लाते हुए धनीराम बाहर निकला और झुलसी हालत में सारा सच्चाई बता दिया । सच्चाई का पता चलते ही न्यायाधीश ने धनीराम को गांव से बाहर निकाला दिया ओर साथ ही मनीराम को उसके हक के पैसे भी दिलवाया। 

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