इजराइल की भूख - गज़ा मै अकाल का बम
गजब का अकाल पर गया ऐसा नहीं है कि भूमध्य सागर का पानी सुख गया है, गर्मी इतनी तेज है या पाला पर गया है की खेतों में पड़ा अनाज सुख गया हो , नरसंहार करने की इजराइल की भूख इतनी बढ़ती जा रही है कि उसके बम से मरने के बाद जो बच गए है, वो अगला बम गिरने तक भुख से मरने की तरफ बढ़ रहे है । लगभग 20 लाख लोगो के पेट मे भुख का बम फीट कर दिया गया है। भुख कि मौत की आवाज नही होती और भुख का बम फटता भी नही, नही आसमान में गुबार उरता है, वो धीरे धीरे सोख लेता है इन्सान कि मस्पेसियो को उसके रगों में बहते रक्त को, आंखों में बचे पानी को, वो शरीर को अनाज समझ कर खा जाता है ।
हम बात कर रहे है ग़जा मै लाए गए इस अकाल को जहां के बच्चे भुख से तरप रहे है। हमारे उम्मीदों को अकाल खा रहा है, अक्टूबर से मार्च आ गया ओर अब मार्च भी जा रहा है, गाजा कि तबाही नही रूकी । युद्ध लाने वाला इजराइल एक नया बम लाया है अकाल बम । गजा के बच्चो का पेट सुख गया है , उसकी मस्पेसिया सिकुड़ गई है, उसके शरीर में धड़कने भर की जान बची है। उन से रोया तक नही जा रहा बच्चो ने रोना भी बंद कर दिया है उस दुनिया के सामने जो हर दिन दावा करती है कि इस बच्चो के लिए वो दुनिया कि चिन्ता करती है । 13 हजार से अधिक बच्चे मार दिए गए इसमें उन बच्चो कि गिनती नहीं जो भुख से तरप रहे है, जो जिन्दा होते हुए भी तड़प रहे है और हर घड़ी मर रहे है। ये वो बच्चे जो इजराइल के बमों के भुख से नहीं मरे बल्कि उसने अनाजों की सप्लाई रोक कर इनके पेट मे भुख का बम फिट कर दिया है उस से मर रहे है।
चूहों ने जो खा कर छोड़ दिया है खबरे छप रही है कि इन्सान उसकी कतरने उठा कर खा रहा है । एबीसी ने लिखा है, कि गजा में लोग गधों के खाने से, घांस से ओर चिरियों के दाने को पीस कर आटा बनाने कि कोशिश कर रहे है अगले दिन तक ऐसी रोटी पत्थर हो जाती है। पत्तो और ठहनियो को उबाल कर पीया जा रहा है, गेंहू मिलता नहीं उसकी जगह जो बट रहा है उसकी क्वालिटी भी बहुत खराब है खाते ही पेट में दर्द हो जा रहा है। खाना इतना खराब है और इतना कम है कि हर परिवार एक बार का खाना छोड़ देता है।
खबरे छपी है कि खाना बनाते समय सख्त सख्ती बरती जा रही है लोहे के मोटे मोटे सालाखे की सुरक्षा में खाना बनाया जाता है। ऐसा शायद भुखे लोगो के हमलावर का डर होगा। भुखे लोग बम नही बरसाते बम नही बनाते रोटियां लूट सकती है। लूटने से पहले रोटि को घूरते रह सकते है। सलाखो के अंदर खिचरी बन रही है बाहर बच्चे कटोरी लिए अपनी बारी के लिए ना जाने कितनी देर से खड़ा है, कितनी दिनों से भुखे खड़े है इसका कोई भाई कोई बहन भुख से मर तो नहीं गई , इसकी मां यहां होगी या भुखी मर चुकी होगी। जानवरों के चारो से खाना बन रहा है लोगों से खाया नहीं जा रहा है।
एबीसी एक न्यूज संस्था है उसने अपनी रिपोर्ट में लिखी है कि एक मां सूप बना रही है जो उनका दिन का एक मात्र भोजन होगा । सूप के नाम पर घास उबाल कर बच्चो को पिला रही है जो उनका एक दिन का भोजन होगा। वो कहती है हम दाल बनाते हैं लेकिन उसमे दाल नहीं है, नमक नहीं हैं, मसाला नहीं है पानी में घास उबाल कर देती है।
दिसंबर से खबरे आ रही है कि इजराइल भुख को हतियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है लोगों को भूखा मार रहा है। शायद वो अपने बमों और गोलियों को बचा रहा होगा। अकाल के भी कई चरण होते है उसके पैमाने होते है जिसके बाद अकाल के अलग अलग चरणों कि घोषणा कि जाती है ये कई चरणों में किसी आबादी को निगलता जाता है। उत्तरी गजा में अकाल के सभी चरण पार हो चुके है। दुनिया में पिछले 13 साल में केवल दो ही बार अकाल घोषित हुआ है 2011 में सुमालिया और 2017 में सूडान।
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