इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कैंडल | जापान के प्रधानमन्त्री और इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कैंडल

इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कैंडल | जापान के प्रधानमन्त्री और इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कैंडल


इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कैंडल पर जापान के प्रधानमन्त्री ने माफी मांगी 

इलेक्ट्रोल बॉन्ड के बारे मे बताते हुए रविश कुमार ने कहा कि यदि इलेक्ट्रोल बॉन्ड का मामला जापान में हुआ होता तो क्या होता ? भारत की जगह यदि जापान में ये सवाल उठ रहे होते कि एक कम्पनी के यहां छापे पड़े और उसने सता रूढ़ दल के लिए बॉन्ड खरीदे तो क्या होता ?  जिस प्रकार से भारत सरकार नरेंद्र मोदी इलेक्ट्रोल बॉन्ड के लिए हो रहे तमाम पर्दाफासो पर चुपी साध कर बैठ गए है, उस चुप्पी को तोड़ने का एक ही तरीका है कि जापान की बात कि जाय । आगे रविश कुमार ने बताया कि जब इस तरह का मामला जापान में सामने आया तो क्या हुआ और भारत में जब सामने आया तो क्या हो रहा है ? 

 आगे हम दोनों देशों कि तुलना से इस बात को बेहतर तरीके से समझ सकते है। जापान के प्रधानमन्त्री फुमियो किशिदा और भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी दोनों अपनी अपनी पार्टी में फंडिंग को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों पर दोनों के ऐक्शन मे जमीन आसमान का अन्तर है । इसी साल जनवरी माह में जापान के प्रधानमन्त्री किशिदा ने संसद में माफी मांगी, क्यों की उसकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने किसी कार्यक्रम के टिकटो के बिक्री का हिसाब ठीक से दर्ज नही किया । आरोप लगा की 52 करोड़ के राशी का भ्रष्टाचार हुआ है।  पार्टी ने नियम के मुताबिक इस हिसाब को नही दिखाया पैसा गुप्त खातों में गया और चुनाव में इस्तेमाल हो गया । जैसे ही ये मामला सामने आया किशिदा सरकार के चार कैबिनेट मंत्रीयो का इस्तीफा हो गया और पांच डिप्टी मंत्रियों का इस्तीफा हो गया । प्रधानमंत्री ने इतने लोगो को हटा कर इनके जगह पर नया मंत्री बना दिया ।  ये मामला जनवरी महीने का और भ्रष्टाचार के आरोप कि जांच हुई तो पार्टी के तीन सांसद और कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित भी हो गए।  इतनी तेजी से सब कुछ हो गया।  जापान के प्रधानमन्त्री ने अफसोस जताया कि  इस स्कैंडल के कारण राजनीति के प्रति लोगो मे अविश्वास बडा है।  जापान के प्रधानमन्त्री ने इसके लिए जिमेदारी ली और संसद में माफी भी मांगी। 


    लेकिन भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी चुप है। सिर्फ बॉन्ड के सवाल पर ही नहीं, मणिपुर से लेकर बृजभूषण के सवाल पर चुप रहे । 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया और अब एक महीने बीतने को लेकिन अब तक प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने ना कोई जांच बैठाई ना कोई एक्शन अब तक लिया। मीडिया के कई चैनलों पर ये खबरे आती रही कि कंपनियों पर ED के छापे परते रहे और कंपनिया बॉन्ड खरीदते रहे । क्या आप जानते है कि इस दौरान ED का प्रमुख कौन था, संजय मिश्रा । संजय मिश्रा को इतनी बार सेवा विस्तार किया गया कि इसे बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी।  ओर तब जाकर कोर्ट से इसे हटाना पड़ा।  इसके बाद भी सरकार कोर्ट में चली गई कि एक महीने ओर दे दिज्ये। इसलिए एलक्ट्रोल बॉन्ड को लेकर कम्पनी, राजनीतिक दल पर ही सिर्फ सवाल नही उठ रहे बल्की ED भी संदेह के घेरे में है। 

 सवाल ये है कि जापान के प्रधानमन्त्री किशिदा कि तरह नरेंद्र मोदी एक्शन क्यों नहीं लेते है वो ED का बजाव लगातार क्यों कर रहे है??
राहुल गांधी ने साफ साफ शब्दों में कहा कि मोदी सरकार चार तरीकों से पैसे वसूल रहे है,  पहला—  सरकार कम्पनी को कॉन्ट्रेक्ट दे कर सीधा कमीशन लेना, दूसरा – ED, CBI भेज कर एक्सटोशन वसूलना, तीसरा – घाटा दिखाकर सेल कंपनी और चौथा है कॉन्ट्रेक्ट देने के पहले पैसा दो कॉन्ट्रेक्ट लो।  

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